राजेश धनेचा प्रधान संपादक

हम वो कलम नहीं हैं जो बिक जाती हों दरबारों में हम शब्दों की दीप- शिखा हैं अंधियारे चौबारों में हम वाणी के राजदूत हैं सच पर मरने वाले हैं डाकू को डाकू कहने की हिम्मत करने वाले हैं ............... कलम सत्य की धर्मपीठ है, शिवम् सुंदरम गाती है । राजा भी अपराधी हो तो, सीना ठोक बताती है ।।
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