तालाब निगला गया, कॉलोनी उग आई — अब सरकारी मशीनरी जागी
शाजापुर के राजनगर शासकीय तालाब सर्वे no 242/ में प्रदेश का सबसे बड़ा भूमि घोटाला

शाजापुर का सबसे बड़ा भूमि घोटाला: सरकारी तालाब निगल गई ‘राजनगर कॉलोनी’!
दो दर्जन रसूखदारों को नोटिस, पूर्व विधायक परिवार पर गंभीर आरोप
✍️ रिपोर्टर: मनीष कुमार | Truth24 समाचार, शाजापुर ब्यूरो
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📍 स्थान – पटवारी हल्का 35, महूपुरा, स्टेशन रोड, शाजापुर
राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में सरकारी ज़मीनों और तालाबों पर अतिक्रमण कोई नई बात नहीं, परंतु शाजापुर जिले में सामने आया यह घोटाला अपने आप में इतिहास का सबसे बड़ा दस्तावेज़ी अपराध बनकर उभर रहा है।
यहाँ सर्वे नंबर 242, जो एक समय में एक विशाल शासकीय तालाब था, आज वहां दर्जनों पक्के मकान खड़े हैं, सड़कें हैं, बिजली-पानी की सुविधा है — और एक पूरी ‘राजनगर कॉलोनी’ खड़ी है।
क्या यह विकास है? या अपराध का नया नाम?
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🌊 तालाब से कॉलोनी बनने की कहानी — 77 वर्षों का घोटाला!
1947 के पूर्व, इस भू-भाग को शासकीय जलस्रोत यानी ‘तालाब’ के रूप में रिकॉर्ड किया गया था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, शासन-प्रशासन की लापरवाही और भू-माफियाओं की चालाकियों ने इसे बर्बाद कर दिया।
📌 1947-1970: सरकारी रिकॉर्ड में यह तालाब दर्ज रहा।
📌 1970-2000: धीरे-धीरे प्लॉटिंग शुरू हुई। सरकारी रिकॉर्ड से गायब कराने की कोशिशें तेज हुईं।
📌 2000-2024: तालाब को समतल कर कॉलोनी बसा दी गई, भवन निर्माण, रजिस्ट्री, रोड-बिजली-पानी जैसी सुविधाएं भी पहुंचा दी गईं।
📌 2025: मामला उजागर हुआ, राजस्व विभाग ने दो दर्जन लोगों को नोटिस थमाए।

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🔥 इन नामों में शामिल हैं…
राजस्व विभाग की ओर से जिन दो दर्जन लोगों को नोटिस भेजे गए हैं, उनमें शामिल हैं:
🔴 पूर्व कांग्रेस विधायक श्रीमती शकुंतला चौहान
🔴 उनके पति राजनारायण चौहान
🔴 पुत्र झरण चौहान व बहू स्वाति चौहान
🔴 राजनारायण चौहान के पिता – बंसीलाल चौहान
🔴 स्थानीय व्यापारी – दिनेश जैन
🔴 मास्टरमाइंड बताये जा रहे – शेरू पटेल पिता गुलाब खाँ, महूपुरा
यह सभी नाम उन साजिशकर्ताओं में शुमार हैं, जिन्होंने वर्षों तक सरकारी तालाब को धीरे-धीरे हड़पा, बेच डाला और कॉलोनी में तब्दील कर दिया।
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🧾 कैसे चला घोटाला?
1. सरकारी तालाब को समतल किया गया – बिना वैध प्रक्रिया के
2. पटवारियों और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से दस्तावेज़ों में हेरफेर हुई
3. फर्जी नामों में जमीन दर्ज करवाई गई
4. प्लॉट काटकर कॉलोनी बनाई गई, नाम दिया गया – ‘राजनगर’
5. नगर पालिका ने सुविधाएं दी – बिना वैधता जांचे
6. कई लोगों को बेचे गए प्लॉट – अब वे फँस चुके हैं कानूनी झमेले में
7. सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व घाटा
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⚠️ कानून से भी बड़ी बन गई ‘राजनगर’ कॉलोनी?
जिस ज़मीन पर एक सरकारी तालाब था, उसे बेचकर कॉलोनाइज़रों ने करोड़ों की कमाई कर ली।
इस बीच नगरपालिका, विद्युत विभाग, जल आपूर्ति मंडल – सभी ने आँखें मूँद लीं या मिला हुआ था तंत्र?
अब जब नोटिस मिले, तो वहां रहने वाले मासूम नागरिकों की नींद उड़ गई है।
उनका कहना है, “हमने प्लॉट पैसे देकर खरीदे, हमें क्यों भुगतना पड़े?”
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🧐 जिम्मेदार कौन?
✔️ क्या दोष सिर्फ कॉलोनाइजरों का है?
✔️ राजस्व विभाग के पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अन्य अधिकारी क्या अंजान थे?
✔️ नगर पालिका ने सुविधाएं कैसे दे दीं जब ज़मीन की वैधता नहीं थी?
✔️ क्या प्रशासन ने जानबूझकर आंखें मूंदी?
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🔍 जांच जरूरी है, निष्पक्ष होनी चाहिए
Truth24 की यह मांग है कि:
🔹 CBI या EOW (Economic Offences Wing) से निष्पक्ष जांच कराई जाए।
🔹 दोषी अफसरों, राजनेताओं और कॉलोनाइजरों पर FIR दर्ज की जाए।
🔹 सरकारी ज़मीन की वसूली की जाए, और सरकार को हुआ नुकसान वसूल किया जाए।
🔹 प्लॉट खरीदारों को कानूनी संरक्षण और राहत दी जाए।
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💬 जनता की राय
स्थानीय नागरिकों में आक्रोश है। उनका कहना है:
🗣️ “राजनगर सिर्फ ज़मीन नहीं, यह विश्वास का मखौल है!”
🗣️ “सत्ता और अपराध का यह गठजोड़ उजागर होना चाहिए।”
🗣️ “सरकारी ज़मीन बेचने वालों को जेल भेजो।”
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🎤 राजेश धनेंचा की संपादकीय टिप्पणी:
“Truth24 मनीष कुमार पत्रकारिता का दायित्व निभा रहा है — जब शासन तंत्र असहाय हो जाए और न्याय अंधा हो जाए, तब सवाल उठाना और सच्चाई सामने लाना ही असली पत्रकार धर्म है। शाजापुर का यह घोटाला सिर्फ जमीन का नहीं, जनता के विश्वास, शासन की गरिमा और न्याय व्यवस्था की साख का प्रश्न है।”
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📢 यह सिर्फ खबर नहीं, एक चेतावनी है – अगला घोटाला आपके शहर में भी हो सकता है!