क्राइमदेवासदेशधर्ममध्य प्रदेश

घरेलु विवाद को धर्मान्तरण का दिया रूप, पति ने शातिर तरिके से पत्नी को फ़साने की, की कोशिश, पत्नी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी

पहले से करिश्चन धर्म वाले व्यक्ति का कैसे हो सकता है, धर्मान्तरण

आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है, कभी व्यक्तिगत झगडे को जाती समाज में बदलकर बड़ा रूप दिया जा रहा है, तो कभी अपना हित साधने के लिए दंगे करवाये जा रहे है।

देवास। शहर की एक निजी स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत महिला ने आज सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने पति उमाकांत शर्मा द्वारा लगाए गए धर्मांतरण के झूठे आरोपों को भ्रामक, असत्य और दुर्भावनापूर्ण बताया है। उन्होंने बताया कि यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया जा रहा है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और मानसिक स्थिति को गहरा आघात पहुंचा है।

पीड़िता ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी शादी वर्ष 2011 में उमाकांत शर्मा से हुई थी, जो पहले से ही क्रिश्चियन धर्म को मानने वाला था। उनके पास अपने पति का करिश्चन धर्म प्रमाणपत्र, विवाह प्रमाण पत्र, चर्च की सदस्यता और अन्य दस्तावेज मौजूद हैं, जो पति के धर्म से जुड़े तथ्यों की पुष्टि करते हैं।

उन्होंने कहा कि वे दोनों वर्ष 2024 तक देवास में एक साथ रहते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनके पति ने नशे की लत के चलते कई गलत कदम उठाए अपनी पत्नी के सभी गहने और मकान तक बेच दिया और उस धन को नशे और जुए में बर्बाद कर दिया।

महिला ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने आर्थिक सहयोग बंद किया तो उमाकांत शर्मा ने झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की। “अब वे मुझ पर धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं, जो न केवल मेरी छवि को धूमिल करता है, बल्कि मेरे और मेरे बच्चों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह भी बताया कि उमाकांत शर्मा उनके साथ मारपीट कर चुके हैं, जिसकी शिकायतें उन्होंने स्थानीय थाने में दर्ज कराई हैं और संबंधित प्रमाण भी उनके पास मौजूद हैं। एक हालिया घटना में जब उन्होंने खुद को घायल कर लिया, तो उसकी सीसीटीवी फुटेज भी उनके पास है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी।

पीड़िता ने देवास एसपी ऑफिस में इस मामले को लेकर लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि “मैं एक शिक्षिका हूं और दो छोटे बच्चों की मां हूं। मानसिक रूप से मैं अत्यंत पीड़ित हूं और हमें जान का खतरा है। मैं चाहती हूं कि सच्चाई सामने आए और मुझे न्याय मिले।

राजेश धनेचा प्रधान संपादक

हम वो कलम नहीं हैं जो बिक जाती हों दरबारों में हम शब्दों की दीप- शिखा हैं अंधियारे चौबारों में हम वाणी के राजदूत हैं सच पर मरने वाले हैं डाकू को डाकू कहने की हिम्मत करने वाले हैं ............... कलम सत्य की धर्मपीठ है, शिवम् सुंदरम गाती है । राजा भी अपराधी हो तो, सीना ठोक बताती है ।।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!