वन विभाग का जंगल राज, फेंसिंग में कर दिया करोडों का भ्रष्टाचार
जाली सिर्फ बिल में, 20 रूपए के कुपोषित डंडे 198 में खरीदे

कैसे बचेंगे ईमानदार जिलाधीश से, भ्रष्टाचारी।
कागज़ में लाखो करोडो के पोधे मौके पर जंगली झाड़ी…

कागज़ में लाखो करोडो के पोधे मौके पर जंगली झाड़ी…
लगाई जादुई जाली जो कि सिर्फ कागज में बिल के रूप में दिखाई दे रही है ।
देवास। देवास जिले में वन विभाग का बड़ा कारनामा सुर्खियों में है। लकड़ी कटाई और तस्करी तो यहां आम बात है, वही अब वनों की सुरक्षा के लिए प्रयोग की जाने वाली फेंसिंग में भी भारी भ्रष्टाचार की बू आती दिखाई दे रही है। जंगल को बचाने के लिए की गई बाउंड्री पर जाली सिर्फ बाहरी रोड पर कुछ फिट तक दिखाई देती है, अंदर जाने पर जाली गायब, वही जाली और लोहे के कंटीले तारों को बांधे रखने के लिए प्रयुक्त लकड़ी के पोल इतने दोयम दर्जे के है कि हवा के झोंकों से जमीन पर आ गिरे। सूत्र बताते है कि इसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। लोहे या सीमेंट के पोल लगाने की बजाय दोयम दर्जे के लकड़ी के डंडे रूपी खंबे लगाकर शासन को भारी भरकम चूना लगाया गया है। वन मंडल अधिकारी प्रदीप मिश्रा द्वारा वन सुरक्षा हेतु आवश्यक समस्त सामग्री का टेंडर किया गया, जैसे बार्बेड वायर, पोल, मिट्टी, खाद , सीमेंट ,गिट्टी आदि समस्त सामग्री के टेंडर बाजार मूल्य से कई गुना अधिक मूल्य पर लिए गए हैं। फोटो में साफ़ दिखाई दे रहा है की इन लकड़ी के खंबो का बाजार मूल्य 20 रूपए से अधिक नही है । जबकि वन विभाग ने इन डंडे रूपी कुपोषित खम्बे को 198 रूपए प्रति नग के हिसाब से खरीद डाले जिसमे वन विभाग के जिम्मेदारों ने साफ तोर पर शासन की राशी में बन्दर बाँट करवाई है। अगर इस राशी का ईमानदारी से हिसाब लगाया जाये तो इसमें करोड़ो रूपए का भ्रष्टाचार होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

ट्रुथ 24 की टीम ने जब देवास रेंज की टोंकखुर्द तहसील के बर्दू वन में जाकर देखा तो नजारा सामने था। नाम मात्र के डंडों से कटीले तारो को झुलाये हुए डंडे रूपी खम्बे कुपोषण का शिकार लग रहे थे जो तार के ही वजन मात्र से लटक गये थे और जोर जोर से वन विभाग के भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रहे थे।

बिल तो लगाया मगर जाली के अते पते नही… कहने को चौकीदार मगर उक्त स्थान पर कोई चौकीदार दिखाई नही दिया। सुरक्षा गेट भी खुला पड़ा था, जहां से कोई भी प्रवेश कर सकता है।

मोके पर यह भी देखने को मिला कि जिस जगह को वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र बोला जा रहा है वहा सिर्फ काल्पनिक वन क्षेत्र है। वास्तविकता में जंगली झाड़ियों के सिवा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। प्रति वर्ष कैम्पा मद एवं विभागीय मद के तहत जो वृक्षारोपण होता है उसमें भारी भरकम राशि खर्च की जाती है, मगर मौके पर कोई नवीन वृक्षारोपण और पौधे दिखाई नहीं दिये। सारी स्थिति से यह प्रतीत होता है की वन विभाग मे जंगल राज कायम है, जिसे कोई देखने वाला नही है। अगर जिले भर में वैन विभाग द्वारा खर्च की गई राशि का भौतिक सत्यापन के साथ जाँच करवाई जाये तो करोडों रुपए का भ्रष्टाचार सामने आ सकता है।