ग्रामीण क्षेत्र के आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रोज नहीं खुलते पट।

कैसे मिलेगा ग्रामीणों को आयुष्मान आरोग्य मंंदिर का लाभ, परिसरों में उग रही है झाड़ियां।
सोनकच्छ ।स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के दावों के बीच हकीकत बेहद तल्ख और चौकाने वाली है। गांव में ही ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किए गए आयुष्मान आरोग्य मंंदिर (पुराना नाम हेल्थ एडं वेलनेस सेंटर) खुद ही बीमार होकर रह गए हैं। इन मंदिरों के रोज खुलने और मरीजों के पहुंचने का दावा तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसर करते हैं, लेकिन यह दावा महज कागजी है। सोनकच्छ क्षेत्र के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के ताला खुलना तो दूर सफाई तक कई माह से नहीं हुई। इन मंदिरों के आस-पास बड़ी-बड़ी झाड़ियां तक उग आई हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम शनिवार को कई आयुष्मान आरोग्य मंंदिर पर जांच करने पहुंची। टीम में पीपलरावां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. अनिल राव व सेक्टर सुपरवाइजर कैलाश एरवाल थे जो गढ़खजुरिया आयुष्मान आरोग्य मंंदिर पहुंचे।इस दौरान केंद्र पर ताला लगा मिला। इसके बाद वे रजापुर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां सीएचओ सोनू गुणवान उपस्थित थीं। इस बारे मे टीम के सदस्य डॉ. अनिल राव से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि परिसर में घास व झाड़ियां उगी थीं। मुख्य गेट के पास ही ग्राम पंचायत ने कम्पोस्टिंग खाद का घूड़ा बना रखा है। इस पर नाराजगी जताते हुए सीएचओ को निर्देश दिए कि पंचायत को घूड़ा हटाने के लिए पत्र लिखा जाए। साथ ही परिसर के अंदर बिजली के तार लटक रहे हैं जिन्हें पंचायत के माध्यम से हटाने को कहा। साथ ही एक्सपायरी डेट की दवाइयां नष्ट करने के निर्देश भी दिए गए। साथ ही केंद्र के बाहर अपना व स्टाफ का नाम, पद व मोबाइल नंबर लिखने के निर्देश भी दिए। गढ़खजुरिया आयुष्मान आरोग्य मंंदिर के बंद मिलने पर डॉ. राव ने बताया कि एएनएम ममता मुजाल्दे व आशा जोशी अवकाश पर हैं। सीएचओ मनीषा राठौर को अनुपस्थिति के लिए कारण बताओ नोटिस दिया जाएगा। जब ट्रुथ 24 संवाददाता कचनारिया पहुंचे, जहां केंद्र बंद मिला। इस बारे में बीएमओ शैलेंद्र औरेया से जानकारी ली तो उनका कहना है कि सीएचओ सरिता सोन मातृत्व अवकाश पर हैं। जबकि एएनएम प्रेमकुमारी झाला कराड़िया माहौर में टीकाकरण के लिए गई हैं।
आपको बता दें कि सोनकच्छ विकास खंड के कई गांवों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर बने है। इनके आस पास भीषण गंदगी है। बड़ी बड़ी झाड़ियां हैं, जो इस बात की गवाही भी देती हैं कि यहां न तो कोई आता और न ही इसका ताला खुलता है। धीरे धीरे आयुष्मान आरोग्य मंदिर जर्जर भी हो रहे है। इन गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने ने बताया कि इन आरोग्य मंदिरों का ताला हफ्ते में सिर्फ दो दिन ही खुलता है बाकी दिन बंद ही रहते है।इस बारे मे बीएमओ शैलेन्द्र औरैया का कहना है कि हमें शिकायत प्राप्त हुई है इस बारे मे दो दिन में सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की सफाई करवा दी जाएगी।
क्या है आयुष्मान आरोग्य मंदिर
मोदी सरकार गरीबों के लिए फ्री राशन से लेकर बीमा आवास समेत कई योजनाएं चला रही है. ऐसी ही एक योजना है आयुष्मान भारत, जिसे साल 2018 में लॉन्च किया गया था. इसे लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ देने के लिए शुरू किया गया था. इसके तहत 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज दिया जाता है. इस योजना का नाम बाद में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना-मुख्यमंत्री योजना कर दिया गया.इसके तहत संचालित आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का नाम बदलकर आरोग्य परमं धनम् टैगलाइन के साथ आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया गया है. इस मंदिर में पुजारी नहीं बल्कि डॉक्टर होते हैं, जो गरीबों का मुफ्त में इलाज करते हैं.।लेकिन सोनकच्छ क्षेत्र के कई आयुष्मान आरोग्य मंदिर ऐसे हैं जो कभी कभी ही खुलते है, ओर इनमें इलाज करने वाले डॉक्टर भी कभी कभी ही आतेहै।